इस साल कैसा रहेगा मानसून? कितनी होगी बारिश, कितनी तेज पड़ेगी गर्मी ?
EL Nino. 2024 में भी सितम ढाएगी गर्मी, अल-नीनो और बिगाड़ेगा हालात; मई तक के तापमान पर WMO ने की भविष्यवाणी विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अल-नीनो को लेकर नया अपडेट जारी किया है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने बताया है कि अल-नीनो साल 2024 में भी गर्मी बढ़ाना जारी रखेगा।
इसने यह भी बताया कि 2023-24 में अल नीनो रिकॉर्ड पर पांच सबसे बड़ी आपदाओं में से एक के रूप में चरम स्थिति पर पर पहुंच गया है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अल-नीनो के प्रभाव स्वरूप मार्च और मई के बीच लगभग सभी क्षेत्रों में सामान्य से अधिक तापमान रहने का अनुमान जताया है।
वैश्विक संगठन ने कहा कि अपनी कमजोर प्रवृत्ति के बावजूद आने वाले महीनों में वैश्विक जलवायु पर इसका प्रभाव जारी रहेगा।
इसी के कारण साल 2023 को अब तक का सबसे गर्म साल भी रहा।
इसके चलते साल 2023 को अब तक रिकॉर्ड पर सबसे गर्म साल के रूप में दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि लगातार बढ़ते इस तापमान में अल नीनो ने भी बड़ा योगदान है। डब्ल्यूएमओ ने अपने ताजा अपडेट में बताया है कि मार्च से लेकर मई के दौरान अल नीनो के बने रहने की लगभग 60 प्रतिशत संभावना है वहीं, अप्रैल से जून के दौरान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) की 80 प्रतिशत संभावना है।
वैश्विक संगठन ने यह भी कहा है कि साल के आखिर में ला नीना की स्थितियां बनने की संभावनाएं तो हैं।लेकिन इसमें अभी अनिश्चितता है।
अल नीनो भारत में मानसून को कैसे प्रभावित करता है।
EL Nino: 2024 में भी सितम ढाएगी गर्मी, अल-नीनो और बिगाड़ेगा हालात; मई तक के तापमान पर WMO ने की भविष्यवाणी
इस साल कैसा रहेगा मानसून? कितनी होगी बारिश, कितनी तेज पड़ेगी गर्मी ?
क्या है अल नीनो
अल नीनो सदर्न ऑसिलेशन (ईएनएसओ) का एक हिस्सा है, जो मौसम और समुद्र से संबंधित एक प्राकृतिक जलवायु घटना को बताता है। ईएनएसओ के दो चरण होते हैं- अल नीनो और ला नीना। अल नीनो का अर्थ स्पेनिश भाषा में 'छोटा लड़का है और यह एक गर्म चरण है। वहीं, ला नीना का मतलब 'छोटी लड़की' होता है जो ठंड का चरण है।
प्रशांत महासागर में पेरू के निकट समुद्री तट के गर्म होने की घटना अल-नीनो कहलाती है। आसान भाषा में समझे तो समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में जो बदलाव आते हैं उस समुद्री घटना को अल नीनो का नाम दिया गया है। इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से 4-5 डिग्री ज्यादा हो जाता है।
अल नीनो भारत में मानसून को कैसे प्रभावित करता है
वैश्विक परिदृश्य में देखें तो अल नीनो घटनाओं के दौरान, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और मध्य अफ्रीका जैसी जगहों पर शुष्क मौसम का अनुभव होता है। वहीं भारत में यह देखा गया है कि अल नीनो वर्षों के दौरान मानसून कमजोर हो जाता है। अल नीनो मौसम की घटनाएं पिछले 70 वर्षों में 15 बार हुई हैं, जिनमें से भारत में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश केवल छह बार हुई है। पिछले चार अल नीनो वर्षों में, भारत ने लगातार सूखे की स्थिति और वर्षा में भारी कमी का सामना किया है। मॉनसून की बारिश कमजोर, मध्यम या मजबूत अल नीनो घटनाओं के आधार पर भी अलग-अलग हो सकती है। 1997 में, एक मजबूत अल नीनो के कारण भारत में सामान्य वर्षा का 102 प्रतिशत रिकॉर्ड किया था।