नमक। यह हमारे भोजन का जितना जरूरी हिस्सा है, भारत में यह उतना ही बड़ा प्रतीक है त्याग, पवित्रता और प्रेम का। प्रेम जताने के लिए लोग अपनी सबसे प्यारी और जरूरी चीज की कुर्बानी देते हैं। भारत में लोग अपने आराध्य ईश्वर के लिए यही त्याग करते हैं। यहां व्रत के भोजन में नमक का त्याग करने की परंपरा है।
नमक हमारी आजादी की लड़ाई में भी अहम किरदार की तरह है। दांडी मार्च ने पूरे देश को किसी लड़ाई-झगड़े के बिना ही एकजुट कर दिया था। नमक इतना कीमती है कि अपनी वफादारी जताने के लिए हम कहते हैं, "मैंने आपका नमक खाया है।" रजिया सज्जाद जहीर की कहानी 'नमक' में सिख बीबी जब साफिया से थोड़ा सा लाहौरी नमक मंगाती हैं तो यह नमक सरहदों को तोड़कर प्यार की सच्ची तस्वीर बन जाता है।
यही नमक अगर हमारे शरीर में कम हो जाए तो कई बीमारियां घेर सकती हैं। अमेरिकी साइंटिस्ट डॉ. जेम्स डिकोलेंटोनियो ने अपनी किताब 'द साल्ट फिक्स' में हमारे शरीर में नमक की जरूरत पर बात की है। उनके मुताबिक जरूरत से कम नमक खाने से हम बीमार पड़ सकते हैं। इससे अनिद्रा, इंसुलिन रेजिस्टेंस, हाइपोनेट्रीमिया जैसी कई सीवियर हेल्थ कंडीशन बन सकती हैं।