कंप्यूटर का आविष्कार या आधुनिक कंप्यूटिंग की खोज

कंप्यूटर का आविष्कार या आधुनिक कंप्यूटिंग की खोज एक सतत विकास है, लेकिन कुछ मुख्य स्थितियां विकास में महत्वपूर्ण पूर्ण राह पर हैं:

एलन ट्यूरिंग (1936): एलन ट्यूरिंग, एक ब्रिटिश गणितज्ञ और तर्कशास्त्री, ने ट्यूरिंग मशीन का कॉन्सेप्ट पेश किया, जो सैद्धांतिक कंप्यूटर विज्ञान का एक मूल अवधारणा है और आधुनिक कंप्यूटिंग के विकास में महत्तवपूर्ण था।


पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (1940): दूसरे विश्व युद्ध के दौर में, इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर का विकास हुआ, जैसे की ENIAC (इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटर एंड कंप्यूटर) जो 1946 में लॉन्च हुआ। ENIAC को पेशावर को चलाने के लिए इस्तमाल किया गया था।


ट्रांजिस्टर (1947): विलियम शॉक्ले, जॉन बार्डीन, और वाल्टर ब्रैटन ने ट्रांजिस्टर का आविष्कार किया, जो वैक्यूम ट्यूब के स्थान पर आया और कंप्यूटर को छोड़ा, तेजी से, और कम बिजली के उपयोग में चलने के लिए सही ढंग से किया।


इंटीग्रेटेड सर्किट (1960 का दशक): इंटीग्रेटेड सर्किट के विकास ने कंप्यूटर को और छोटा और शक्तिशाली बनाया, जिसे उनके घरो में भी लाया जा सके और उन कंप्यूटरों को भी चलाया जा सके जो स्पेस में भेजे गए।


पर्सनल कंप्यूटर (1970 - 1980): कंपनियां जैसी कि एप्पल और आईबीएम ने पर्सनल कंप्यूटर के विकास में बड़ा योगदान दिया, जिसकी कंप्यूटिंग आम लोगों तक पहुंच गई।


इंटरनेट (1960 के दशक के बाद): इंटरनेट का विकास ने कंप्यूटिंग को एक नए स्टार पर ले गया, जहां से लोग विश्व स्तर पर कनेक्ट हो सकते हैं और सूचनाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं।


ये कुछ मुख्य घाटा हैं जो आधुनिक कंप्यूटिंग के विकास में महत्तवपूर्ण राही हैं। ये विकास एक लम्बी और समृद्ध इतिहास के परिणमस्वरूप हुआ है।


कंप्यूटर के विकास (या "गधन") के बारे में बात करते हैं:


पूर्व-यांत्रिक युग (ईसा पूर्व 3000 - 1450 ईस्वी): पहले से ही गिनती के लिए उपकरणों का उपयोग होता था, जैसे कि टैली स्टिक, अबेकस आदि।


यांत्रिक युग (1623 - 1940): इस दौरान यांत्रिक उपकरणों जैसे चार्ल्स बैबेज के विश्लेषणात्मक इंजन की अवधारणा विकसित हुई। बैबेज को "कंप्यूटर का बाप" भी कहा जाता है।


यांत्रिक युग (1623 - 1940): इस दौरान यांत्रिक उपकरणों जैसे चार्ल्स बैबेज के विश्लेषणात्मक इंजन की अवधारणा विकसित हुई। बैबेज को "कंप्यूटर का बाप" भी कहा जाता है।


इलेक्ट्रोमैकेनिकल युग (1930 - 1940): क्या समय तक, इलेक्ट्रोमैकेनिकल डिवाइस जैसे कि आईबीएम के टेबुलेटिंग मशीनों का उपयोग डेटा प्रोसेसिंग के लिए होता था।

दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1950-1960): ट्रांजिस्टर के आगमन के साथ, कंप्यूटर का आकार कम हुआ और तेज़ हुई


तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (1960-1970): इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसीएस) का उपयोग किया गया। इसमे कंप्यूटर का आकार और शक्ति दोनों बढ़ गया।


पहली पीढ़ी के कंप्यूटर (1940-1950): वैक्यूम ट्यूब का उपयोग किया गया था। ENIAC एक प्रमुख उधारन है। 


चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर (1970 से - वर्तमान): माइक्रोप्रोसेसरों के आगमन के साथ, कंप्यूटर और छोटे, शक्तिशाली, और सस्ती बन गए। ये दौर अब तक चल रहा है।


पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (वर्तमान और भविष्य): पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित होंगे। इसमें मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क, और रोबोटिक्स जैसी टेक्नोलॉजीज का भी इस्तेमाल होगा।


ये कंप्यूटर के विकास के मुख्य दौर हैं, जो टेक्नोलॉजी के समय के साथ बदलते रहते हैं और आज के आधुनिक कंप्यूटिंग को प्रभावित करते हैं।






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